Monday 22 February 2016

मुस्लिम लीग की स्थापना muslim ling ki stapna top history here

बंगाल के विभाजन ने सांप्रदायिक विभाजन को भी जन्म दे दिया| 30 दिसंबर,1906 को ढाका के नवाब आगा खां और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क के नेतृत्व में भारतीय मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा के लिए मुस्लिम लीग का गठन किया गया| प्रारंभ में इसे ब्रिटिशों द्वारा काफी सहयोग मिला लेकिन जब इसने स्व-शासन के विचार को अपना लिया,तो ब्रिटिशों से मिलने वाला सहयोग समाप्त हो गया|1908 में लीग के अमृतसर अधिवेशन में सर सैय्यद अली इमाम की अध्यक्षता में मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की गयी जिसे ब्रिटिशों ने 1909 के मॉर्ले-मिन्टो सुधारों द्वारा पूरा करदिया|मौलाना मुहम्मद अली ने अपने लीग विरोधी विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए अंग्रेजी जर्नल ‘कामरेड’ और उर्दू पत्र ‘हमदर्द’ को प्रारंभ किया| उन्होंने ‘अल-हिलाल’ की भी शुरुआत कीजोकि उनके राष्ट्रवादी विचारों का मुखपत्र था|मुस्लिम लीग को प्रोत्साहित करने वाले कारक•ब्रिटिश योजना- ब्रिटिश भारतीयों को साम्प्रदायिक आधार पर बाँटना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने भारतीय राजनीति में विभाजनकारीप्रवृत्ति का समावेश किया,इसका प्रमाण पृथक निर्वाचन मंडल की व्यवस्था करना और ब्राह्मणों व गैर-ब्राह्मणों के बीच जातिगत राजनीति का खेल खेलना थे|•शिक्षा का अभाव-मुस्लिम पश्चिमी व तकनीकी शिक्षा से अछूते थे|•मुस्लिमों की संप्रभुता का पतन-1857 की क्रांति ने ब्रिटिशों को यह सोचने पर मजबूर किया कि मुस्लिम उनकी औपनिवेशिक नीतियों के लिए खतरा हो सकते है क्योकि मुग़ल सत्ता को हटाकर ही उन्होंने अपने शासन की नींव रखी थी|•धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति-अधिकतर इतिहासकारों और उग्र-राष्ट्रवादियों ने भारतीय सामासिक संस्कृति के एक पक्ष को हीमहिमामंडित किया| उन्होंने शिवाजी,राणा प्रताप आदि की तो प्रशंसा की लेकिन अकबर,शेरशाह सूरी,अलाउद्दीन खिलजी,टीपू सुल्तान आदि के बारे में मौन बने रहे|•भारत का आर्थिक पिछड़ापन- औद्योगीकीकरण के अभाव में बेरोजगारी ने भीषण रूप धारण कर लिया था और घरेलु उद्योगों के प्रति ब्रिटिशोंका रवैया दयनीय था|लीग के गठन के उद्देश्य• भारतीय मुस्लिमों में ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा को प्रोत्साहित करना• भारतीय मुस्लिमों के राजनीतिक व अन्य अधिकारों की रक्षा करना और उनकी जरुरतों व उम्मीदों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना• मुस्लिमों में अन्य समुदायों के प्रति विरोध भाव को

,About subhash bos army ina

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन,भारतीय इतिहास,आधुनिक भारत,इतिहासA+A-द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वतंत्रता संघर्ष के विकास में आजादहिन्द फ़ौज के गठन और उसकी गतिविधियों का महत्वपूर्ण स्थान था|इसे इन्डियन नेशनल आर्मी या आईएनए के नाम से भी जाना जाता है| रास बिहारी बोस नाम के भारतीय क्रांतिकारी, जो कई सालों से भारत से भागकर जापान में रह रहे थे, ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे भारतीयों के सहयोग से इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का गठन किया| जब जापान ने ब्रिटिश सेना को हराकर दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग सभी देशों पर कब्ज़ा कर लिया तो लीग ने भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर इन्डियन नेशनल आर्मी को तैयार किया ताकि भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाई जा सके| ब्रिटिश भारतीय सेना में अधिकारी रहे जनरल मोहन सिंह ने इस आर्मी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| इसीदौरान 1941 में सुभाष चन्द्र बोस भारत की स्वतंत्रता के लिए भारत से भागकर जर्मनी चले गए| 1943 में वे इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का नेतृत्व करने के लिए सिंगापुर आये और इन्डियन नेशनल आर्मी (आजाद हिन्द फ़ौज) का पुनर्गठन किया ताकि वह भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण हथियार बन सके| आजाद हिन्द फ़ौज में लगभग 45,000 सैनिक शामिल थे, जिनमे भारतीय युद्धबंदियों के अलावा वे भारतीय भी शामिल थे जो दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देशों में बस गए थे|21 अक्टूबर ,1943 में सुभाष बोस, जिन्हें अब नेताजी के नाम से जाना जाने लगा था, ने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार (आजाद हिन्द) के गठन की घोषणा कर दी| नेताजी अंडमानगए,जो उस समय जापानियों के कब्जे में था,और वहां भारतीय झंडे का ध्वजारोहण किया| 1944 के आरम्भ में आजाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) की तीन इकाइयों ने भारत के उत्तर पूर्वी भाग पर हुए हमले में भाग लिया ताकि ब्रिटिशों को भारत से बाहर किया जा सके| आजाद हिन्द फ़ौज के सबसे चर्चित अधिकारियों में से एक शाहनवाज खान के अनुसार जिन सैनिकों ने भारत में प्रवेश किया वे स्वयं जमीन पर लेट गए और भावुकहोकर अपनी पवित्र मातृभूमि को चूमने लगे| हालाँकि,भारत को मुक्त करने का आजाद हिन्द फ़ौज का प्रयास सफल नहीं हो सका|भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ने जापानी सरकार को भारत के मित्र के रूपमें नहीं देखा|उसकी सहानुभूति जापानी हमलों के शिकार हुए देशों के लोगों के प्रति थी|हालाँकि,नेताजी का मानना था कि जापान के समर्थन,आजाद हिन्द फ़ौज के सहयोग और देश के अन्दर होने वाले विद्रोहके द्वारा भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़कर फेंका जा सकता है| आजाद हिन्द फ़ौज का दिल्ली चलो का नारा और जय हिन्द की सलामी देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह भारतीयों की प्रेरणा की स्रोत थी|भारत की स्वतंत्रता के लिए नेताजी ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे सभी धर्मों और क्षेत्रों के भारतीयों को एकत्र किया| भरतीय स्वतंत्रता की गतिविधियों में भारतीय महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|आजाद हिन्द फ़ौज की महिला रेजीमेंट का गठन किया गया,जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के हाथों में थी| इसे रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट कहा जाता था| आजाद हिन्द फ़ौज भारत के लोगों के लिए एकता का प्रतीक और वीरता का पर्याय बन गयी|जापान द्वारा आत्मसमर्पण करनेके कुछ दिन बाद ही नेताजी,जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महानतम नेताओं में से एक थे,की एक हवाई दुर्घटना में मौत की खबर आई|द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में फासीवादी जर्मनी और इटली की पराजय के साथ समाप्त हो गया| युद्ध में लाखों लोग मारे गए| जब युद्ध समाप्ति के करीब था और जर्मनी व इटली की हार हो चुकी थी, तभीसंयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के दो शहरों-हिरोशिमा और नागासाकीपर परमाणु बम गिरा दिए| कुछ ही क्षणों में ये शहर धराशायी हो गए और200,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए| इसके तुरंत बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया| हालाँकि,परमाणु बमों के प्रयोग के कारण युद्ध तो समाप्त हो गया लेकिन इसने विश्व में एक नए तरह का तनाव पैदा कर दिया और एक से बढकर एक ऐसे खतरनाक हथियारों को बनाने की होड़ लग गयी जोकि सम्पूर्ण मानव-जाति को ही नष्ट कर सकते है|निष्कर्षआल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक भारत का वामपंथी राष्ट्रीय राजनीतिक दल था,जिसका उदय 1939 में कांग्रेस के अन्दर से एक धड़े के रूप में हुआ था और इसका नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस ने किया था| प्रथम आईएनए का पतन हो चुका था बाद में सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 1943 में आईएनए का पुनर्गठन किया गया और बोस की सेना को अर्गी हुकूमत-ए-हिन्द घोषित किया गया|

Wednesday 27 January 2016

india bhoogol knowlege. justgoyaar. here about indian river. bharat ki nadiya

भारत की नदियाँ भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे :- 1. हिमाचल से निकलने वाली नदियाँ 2. दक्षिण से निकलने वाली नदियाँ 3. तटवर्ती नदियाँ 4. अंतर्देशीय नालों से द्रोणी क्षेत्र की नदियाँ हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्‍लेशियरों के पिघलने से बनी हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्‍तर प्रवाह बना रहता है। मॉनसून माह के दौरान हिमालय क्षेत्र में बहुत अधिक वृष्टि होती है और नदियाँ बारिश पर निर्भर हैं अत: इसके आयतन में उतार चढ़ाव होता है। इनमें से कई अस्‍थायी होती हैं। तटवर्ती नदियाँ, विशेषकर पश्चिमी तट पर, लंबाई में छोटी होती हैं और उनका सीमित जलग्रहण क्षेत्र होता है। इनमें से अधिकांश अस्‍थायी होती हैं। पश्चिमी राजस्थान के अंतर्देशीय नाला द्रोणी क्षेत्र की कुछ्‍ नदियाँ हैं। इनमें से अधिकांश अस्‍थायी प्रकृति की हैं। हिमाचल से निकलने वाली नदी की मुख्‍य प्रणाली सिंधु और गंगा ब्रह्मपुत्र मेघना नदी की प्रणाली की तरह है। सिंधु नदी विश्‍व की महान, नदियों में एक है, तिब्बत में मानसरोवर के निकट से निकलती है और भारत से होकर बहती है और तत्‍पश्‍चात् पाकिस्तान से हो कर और अंतत: कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली इसकी सहायक नदियों में सतलुज (तिब्‍बत से निकलती है), व्‍यास, रावी, चिनाब, और झेलम है। गंगा ब्रह्मपुत्र मेघना एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण प्रणाली है जिसका उप द्रोणी क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा में हैं, जो देवप्रयाग में मिलकर गंगा बन जाती है। यह उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार और प.बंगाल से होकर बहती है। राजमहल की पहाडियों के नीचे भागीरथी नदी, जो पुराने समय में मुख्‍य नदी हुआ करती थी, निकलती है जबकि पद्भा पूरब की ओर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करती है। गंगा सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी, और सोन; गंगा की महत्‍वपूर्ण सहायक नदियाँ है। चंबल और बेतवा महत्‍वपूर्ण उप सहायक नदियाँ हैं जो गंगा से मिलने से पहले यमुना में मिल जाती हैं। पद्मा और ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में मिलती है और पद्मा अथवा गंगा के रुप में बहती रहती है। ब्रह्मपुत्र ब्रह्मपुत्र तिब्बत से निकलती है, जहाँ इसे सांगणो कहा जाता है और भारत में अरुणाचल प्रदेश तक प्रवेश करने तथा यह काफ़ी लंबी दूरी तय करती है, यहाँ इसे दिहांग कहा जाता है। पासी घाट के निकट देबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है और यह संयुक्‍त नदी पूरे असम से होकर एक संकीर्ण घाटी में बहती है। यह घुबरी के अनुप्रवाह में बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र सहायक नदियाँ भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियाँ सुबसिरी, जिया भरेली, घनसिरी, पुथिभारी, पागलादिया और मानस हैं। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र तिस्‍त आदि के प्रवाह में मिल जाती है और अंतत: गंगा में मिल जाती है। मेघना की मुख्‍य नदी बराक नदी मणिपुर की पहाडियों में से निकलती है। इसकी महत्‍वपूर्ण सहायक नदियाँ मक्‍कू, ट्रांग, तुईवई, जिरी, सोनई, रुक्‍वी, कचरवल, घालरेवरी, लांगाचिनी, महुवा और जातिंगा हैं। बराक नदी बांग्‍लादेश में भैरव बाज़ार के निकट गंगा-‍ब्रह्मपुत्र के मिलने तक बहती रहती है। दक्‍कन क्षेत्र में अधिकांश नदी प्रणालियाँ सामान्‍यत पूर्व दिशा में बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। गोदावरी, कृष्‍णा, कावेरी, महानदी, आदि पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं और नर्मदा, ताप्ती पश्चिम की बहने वाली प्रमुख नदियाँ है। दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी का दूसरी सबसे बड़ी नदी का द्रोणी क्षेत्र है जो भारत के क्षेत्र 10 प्रतिशत भाग है। इसके बाद कृष्‍णा नदी के द्रोणी क्षेत्र का स्‍थान है जबकि महानदी का तीसरा स्‍थान है। डेक्‍कन के ऊपरी भूभाग में नर्मदा का द्रोणी क्षेत्र है, यह अरब सागर की ओर बहती है, बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं दक्षिण में कावेरी के समान आकार की है और परन्‍तु इसकी विशेषताएँ और बनावट अलग है। कई प्रकार की तटवर्ती नदियाँ हैं जो अपेक्षाकृत छोटी हैं। ऐसी नदियों में काफ़ी कम नदियाँ-पूर्वी तट के डेल्‍टा के निकट समुद्र में मिलती है, जबकि पश्चिम तट पर ऐसी 600 नदियाँ है। राजस्थान में ऐसी कुछ नदियाँ है जो समुद्र में नहीं मिलती हैं। ये खारे झीलों में मिल जाती है और रेत में समाप्‍त हो जाती हैं जिसकी समुद्र में कोई निकासी नहीं होती है। इसके अतिरिक्‍त कुछ मरुस्‍थल की नदियाँ होती है जो कुछ दूरी तक बहती हैं और मरुस्‍थल में लुप्‍त हो जाती है। ऐसी नदियों में लुनी और मच्‍छ, स्‍पेन, सरस्‍वती, बानस और घग्‍गर जैसी अन्‍य नदियाँ हैं। दक्षिण क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ दक्‍कन क्षेत्र में अधिकांश नदी प्रणालियाँ सामान्‍यत पूर्व दिशा में बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। गोदावरी, कृष्‍णा, कावेरी, महानदी, आदि पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं और नर्मदा, ताप्‍ती पश्चिम की बहने वाली प्रमुख नदियाँ है। दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी दूसरी सबसे बड़ी नदी का द्रोणी क्षेत्र है जो भारत के क्षेत्र 10 प्रतिशत भाग है। इसके बाद कृष्‍णा नदी के द्रोणी क्षेत्र का स्‍थान है जबकि महानदी का तीसरा स्‍थान है। डेक्‍कन के ऊपरी भूभाग में नर्मदा का द्रोणी क्षेत्र है, यह अरब सागर की ओर बहती है, बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं दक्षिण में कावेरी के समान आकार की है और परन्‍तु इसकी विशेषताएँ और बनावट अलग है।

english kase learn kare ? online. study english here

is/am/are का प्रयोग अंग्रेजी भाषा में is/am/are (इज/ऍम/आर) का प्रयोग सबसे आसान वाक्य बनाने में किया जाता है. इन तीनों का प्रयोग वर्तमान काल में simple sentences बनाने में किया जाता है. जब वाक्य के अंत में 'हूँ' , 'है' या 'हैं' हो और ये वाक्य में मुख्य क्रिया का काम करते हो तो वाक्य के कर्ता के अनुसार is/am/are का उपयोग किया जाता है. I (मैं) am (हूँ) you (तुम)व बहुवचन are (हो) singular एकवचन is (है) उदाहरण : मैं एक डॉक्टर हूँ . - I am a doctor. सामान्यतः बोलचाल में संक्षिप्त करने के लिए इनका उपयोग इस प्रकार किया जाता है . मैं एक डॉक्टर हूँ . I'm a doctor. हम बहुत गरीब हैं. We’re very poor . आप एक अध्यापक हो. You’re a teacher. वह एक गायक है . He's a singer/She's a singer. यह आपका पेन है. It's your pen. Negative sentences (नकारात्मक वाक्य) बनाने के लिए is/are/am के बाद ‘not’ का प्रयोग किया जाता है. मैं एक डॉक्टर नही हूँ . I'm not a doctor. हम बहुत गरीब नहीं हैं. We’re not very poor . आप एक अध्यापक नही हो. You’re not a teacher. वह एक गायक नही है. He's not a singer/She's not a singer. वे किसान नहीं है. They're not farmers. Interrogative sentences (प्रशनवाचक वाक्य) बनाने के लिए is/are/am को वाक्य के शुरू में लगाया जाता है. क्या मैं एक डॉक्टर हूँ . Am I a doctor? क्या हम बहुत गरीब हैं. We’re very poor? क्या आप एक अध्यापक हो. Are You a teacher? क्या वह एक गायक है . Is He a singer/ Is She a singer? क्या यह आपका पेन है. Is It your pen? some mining Almond बादाम Apricot खुबानी Betal nut सुपारी Carambola कमरख Cherry चेरी Coconut नारियल Date खजूर Grape अंगूर Groundnut मूंगफली Peanut मूंगफली Apple सेब Banana केला Beet root चुकंदर Blackberry जामुन Cashewnut काजू Custard apple शरीफा Fig अंजीर Guava अमरूद Litchi लीची Lemon नींबू Mango आम Grape fruit मौसमी Orange संतरा Peach आडू Papaya पपीता Pistachio पिस्ता Pomegranate अनार Sapodilla चीकू Watermelon तरबूज Muskmelon खरबूजा Raspberry रसभरी Pear नाशपाती Waternut सिंघाड़ा Pineapple अनानास Mulberry शहतूत Pine nut चिलगोज़ा Domestic Articles (घरेलू वस्तुएं) Almirah अलमारी Earthen lamp दिया Mirror शीशा Sauce pan देगची Fuel ईंधन Twig brush दातुन Canister कनस्तर Tap नल Handpump हाथ वाला नल Book किताब Note-book कॉपी Cream क्रीम Bowl प्याला Tooth paste मंजन Tooth brush दांत साफ़ करने वाला ब्रश Platter थाली Cup प्याला Plate तश्तरी Safe तिजोरी Box बक्सा / डिब्बा Lock ताला Key चाभी Soap साबुन Shampoo शैम्पू Phial शीशी Pillow तकिया Rope रस्सी Swing झूला Reed chair मोढ़ा Bed sheet चादर Spoon चम्मच Tongs चिमटा Bottle बोतल Purse बटुआ Watch घड़ी Clock दीवार घड़ी Funnel कीप Lantern लालटेन Knitting stick सलाई Wire तार Stool स्टूल Table मेज Pan तवा Lid ढक्कन Pen कलम Pencil पेंसिल Basket टोकरी String रस्सी Umbrella छाता Bolster मसनद Broom झाड़ू Sieve चलनी Wick बत्ती Stove चूल्हा Cylinder सिलिंडर Bulb बल्ब Cot चारपाई Curd दही Iron इस्त्री Tooth powder दन्त मंजन Ladle करछुल Paper कागज़ Window खिड़की Door दरवाज़ा Pitcher घड़ा Saucer तश्तरी Fork काँटा Dinning table खाने की मेज Spittoon पीकदान Kettle केतली Mop पोंछा Bucket बाल्टी Tub टब Tripod तिपाई Match box माचिस / दियासलाई Match stick माचिस की तीली Trunk बड़ा संदूक Mosq

Saturday 23 January 2016

भारत छोड़ो आन्दोलन Bharat chhodo andolan

अप्रैल 1944 में क्रिप्स मिशन के असफल होने के लगभग चार महीने बाद ही स्वतंत्रता के लिए भारतीयों का तीसरा जन आन्दोलन आरम्भ हो गया| इसे भारत छोड़ो आन्दोलन के नाम से जाना गया| 8 अगस्त, 1942 को बम्बई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी कीबैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया| इस प्रस्ताव में यह घोषित किया गया था कि अब भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत जरुरी हो गयी है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र के देश फासीवादी जर्मनी, इटली और जापान से लड़ रहे हैं| यह प्रस्ताव भारत से ब्रिटिश शासन की समाप्ति के लिए लाया गया था| इसमें कहा गया कि एक बार स्वतंत्र होने के बाद भारत अपने सभी संसाधनों के साथ फासीवादी और साम्राज्यवादी ताकतों के विरुद्ध लड़ रहे देशों की ओर से युद्ध में शामिल हो जायेगा|इस प्रस्ताव में देश की स्वतंत्रता के लिए अहिंसा पर आधारित जन आन्दोलन की शुरुआत को अनुमोदन प्रदान किया गया|इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद गाँधी ने कहा था कि एक छोटा सा मंत्र है जो मै आपको देता है| इसे आप अपने ह्रदय में अंकित कर लें और अपनी हर सांसमें उसे अभिव्यक्त करें| यह मंत्र है-“करो या मरो”| अपने इस प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करेंगें या फिर जान दे देंगे| भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोगों का नारा बन गया|9 अगस्त 1942 की सुबह ही कांग्रेस के अधिकांश नेता गिरफ्तारकर लिए गए और उन्हें देश के अलग अलग भागों में जेल में डाल दिया गया साथ ही कांग्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया| देश के प्रत्येक भाग में हड़तालों और प्रदर्शनों का आयोजन किया गया| सरकार द्वारा पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां की गयीं| लोगों का गुस्सा भी हिंसक गतिविधियों में बदल गया था| लोगों ने सरकारी संपत्तियों पर हमले किये, रेलवे पटरियों को उखाड़ दिया और डाक व तारव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया| अनेक स्थानों पर पुलिस और जनता के बीच संघर्ष भी हुए| सरकार ने आन्दोलन से सम्बंधित समाचारों के प्रकाशित होने पर रोक लगा दी| अनेक समाचारपत्रों ने इन प्रतिबंधों को मानने की बजाय स्वयं बंद करना ही बेहतर समझा|1942 के अंत तक लगभग 60,000 लोगों को जेल में डाल दिया गया और कई हजार मारे गए|मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे| बंगाल के तामलुक में 73 वर्षीय मतंगिनी हाजरा, असमके गोहपुर में 13 वर्षीय कनकलता बरुआ, बिहार के पटना में सात युवा छात्र व सैकड़ों अन्य प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान गोली लगने से मारे गए| देश के कई भाग जैसे, उत्तर प्रदेश में बलिया, बंगाल में तामलूक, महाराष्ट्र में सतारा, कर्नाटक में धारवाड़ और उड़ीसा में तलचर व बालासोर, ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गए और वहां केलोगों ने स्वयं की सरकार का गठन किया| जय प्रकाश नारायण, अरुणा आसफअली, एस.एम.जोशी.राम मनोहर लोहिया और कई अन्य नेताओं ने लगभग पूरेयुद्ध काल के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों का आयोजन किया|युद्ध के साल लोगों के लिए भयानक संघर्ष के दिन थे| ब्रिटिश सेना और पुलिस के दमन के कारण पैदा गरीबी के अलावा बंगाल में गंभीर अकालपड़ा जिसमे लगभग तीस लाख लोग मरे गए| सरकार ने भूख से मर रहे लोगों को राहत पहुँचाने में बहुत कम रूचि दिखाई|

top history राजगोपालाचारी फार्मूला (1944 ई.

A+A-द्विराष्ट्र सिद्धांत और ब्रिटिशों से भारत की स्वतंत्रता को लेकर मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलग अलग विचारों के कारण पैदा हुए मतभेदों को सुलझाने के उद्देश्य से राजगोपालाचारी फार्मूला लाया गया था| सी. राजगोपालाचारी, जोकि कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता थे, ने मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच के राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए एक फार्मूला तैयार किया| यह फार्मूला, जिसे महात्मा गाँधी का समर्थन प्राप्त था, वास्तव में लीग की पाकिस्तान मांग की मौन स्वीकृति थी|राजगोपालाचारी फार्मूला• मुस्लिम लीग कांग्रेस की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करे• लीग कांग्रेस को केंद्र में अस्थायी सरकार के गठन में सहयोग प्रदान करे• युद्ध की समाप्ति के बाद एक आयोग गठित किया जायेगा जो उन जिलों की पहचान करेगा जहाँ मुस्लिमों का स्पष्ट बहुमत है और इन क्षेत्रों(गैर मुस्लिमों को शामिल कर) में, यह जानने के लिए कि वे पृथक संप्रभु राज्य का गठन चाहते हैं या नहीं, वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनाव कराये जायेंगे|• सभी दलों को चुनाव या मतदान से पूर्व विभाजन के सम्बन्ध में अपनेमत और अपने विचारों को व्यक्त करने की अनुमति होगी|• यदि विभाजन के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाती है तो रक्षा, वाणिज्य और संचार आदि विषयों को लेकर एक संयुक्त समझौता किया जायेगा|• ऊपर दी गयी सभी शर्तें तभी लागू होगी जब इंग्लैंड सम्पूर्ण सत्ताभारत को हस्तांतरित कर दे|निष्कर्षराजगोपालाचारी फार्मूले की मूल संकल्पना द्विराष्ट्र सिद्धांत और ब्रिटिशों से भारत की स्वतंत्रता को लेकर मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलग अलग विचारों के कारण पैदा हुए मतभेदों को सुलझाने की थी|